बुधवार, 3 नवंबर 2021

खण्डेला का इतिहास भाग-7

गुजरात का दूसरा अभियान और रायसल का कौशल






गतांक से आगे-
गुजरात विजय करके बादशाह ने अपने धाय भाई मिर्जा अजीज कोका जो आजम खां के नाम स्व प्रसिद्ध था उसको गुजरात का सूबेदार बना कर अहमदाबाद किले में बैठा दिया। बादशाह अपनी सेना के साथ फतेहपुर सीकरी लौट आया।छह महीने में ही दुबारा गुजरात में उपद्रव भड़क उठा।मिर्जा बन्धु जो बचकर भाग गए थे वापस विद्रोह का झंडा उठा लिया था।

इख़्तियारूमुल्क गुजराती और ईडर के नारायणदास ने अहमदाबाद किले को घेर लिया। अजीज कोका अंदर घिर गया।बादशाह को जब खबर मिली तो रात देखी न दिन ।अपने चुने हुए उमरावों के साथ ऊंट पर सवार होकर 45 दिन का सफर 9 दिन में कर डाला, रविवार को रवाना हुआ बादशाह मंगलवार तक अजमेर पहुँच गया और शुक्र की दोपहर तक जालोर तथा वहां घोड़े के व्यापारियों से घोड़े लेकर अपने साथियों में बांट दिए। अगले बुध को साबरमती के किनारे बादशाह पहुँच गया और सामने फिर से मोहम्मद हुसैन मिर्जा लड़ने को तैयार खड़ा था।
युद्ध की आवाज आने लगी और तलवार हवा में एक एक कर गर्दन काट रही थी। मोहम्मद हुसैन मिर्जा भी खूब लड़ा आखिर घायल होकर भागने लगा तो भगवंतदास कच्छवाह के इशारे पर पकड़ लिया गया और उसका सर काट कर फेंक दिया ।

पिछले सरणाल के युद्ध मे भोपत कछवाह शाहमदद की तलवार से मारा गया था इस बार उसे भी पकड़ लिया गया और रायसल शेखावत ने इसे पकड़ कर बादशाह को सौप दिया आखिर रायसल भी इसी की तलाश में था जिसने अपने कछवाह योद्धा को मौत की नींद सुला दी थी। बादशाह ने उसे युद्ध करने का मौका दिया और कुछ झटपट के बाद एक भाला उंसके आर -पार कर दिया।इस युद्ध मे शाही सेना का एक अप्रतिम योद्धा राघवदास कछवाह भी मारा गया।

रायसल शेखावत के पराक्रम को चारण कवि "खेत सिंह गाडण " ने लिखा है कि-

"रण मझ खाग बजतां रासे, घड़ा कंवारी बरीबा घाई।
सुजड़े बीज सिलाव श्र्वन्ति, मोहम्मद मीर तणा दल माईं।।
साथी छोड़ गयो सूजा सुत, तिसियो लोह तरनि रिणताल।
दामणी चमकी झमकिते दुजड़े, बणियो गुजर घड़ा विचाळ।।
कूरम गो परिगह मेल्ही कल्हिवा,घड़ा कहर घुमन्ती घाण।
ब्रह्मांड उरांखींवती बिजळ, अहमदाबाद तणे आराण।।

अर्थात-भीषण युद्ध मे संघर्षरत शाही सेना में सबसे आगे बढ़ कर रायसल बिजली से चमकती तलवारों की झड़ी के मध्य मिर्जा की सेना से भिड़ गया। राव सूजा का पुत्र रायसल अहमदाबाद के रणांगण में गुजरात की सेना रूपी कंवारी का पाणिग्रहण करने की त्वरा में अपने युद्धरत साथियो (बारातियों)को भी पीछे छोड़कर उमंग से अकेला आगे बढ़ता चला गया।
अगले अंक में शाही तख्त के उत्तराधिकार और उस समय की घटनाओ का जिक्र किया  जाएगा।
#क्रमशः-

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