जीने दो मुझे भी
साभार- गूगल
जीने दो मुझे भी,
अस्तित्त्व है जो मेरा ,खत्म न करो,
कोख में खत्म करने से तो डरो।
कोशिश होगी मेरी कि,
मैं नाम तुम्हारा रोशन कर दूंगी,
जीने की आजादी दो मुझे,
नाम ऊँचा ,आपका कर दूंगी।
विश्वास करो, मैं भी जीना चाहती हूं,
जीवन पथ पर, आगे बढ़ना चाहती हूं,
मुझे मारकर क्यों
पाप के भागी बनते हो,
दो जीवन और ऊंची शिक्षा,
फिर देखो कितने भाग्यशाली बनते हो,
जांच में पाए जाने पर मुझे,
क्यों तुम इतना डर जाते हो,
विश्वाश करो मुझ पर,
क्यों इतना कांप जाते हो।
मेरा उज्जवल भाग्य ,
मैं खुद लेके आउंगी,
साथ मे आपकी भी बंद,
किस्मत चमका जाऊंगी,
मानती हूं कुछ दुश्मन है मेरे,
पर उनका अब क्या मैं करूँ,
लेकिन कुछ अपवादी तत्वों,
से अब आप क्यों डरो?
मुश्किल जीवन में अगर,
आगे आना है,
तो इन सब खतरों से,
डर को दूर भगाना है।
आखिर में, मेरी यही गुहार है,
मुझे पैदा तो करो,
मुझे इस जीवन से बड़ा प्यार है,
ये दुनियां से ना डरो,
ये दुनियां तो बेकार है।
आप तो खुश किस्मत हो,
मिला आपको ये अभिन्न उपहार है।
ऊपर वाला भी उनको देता है ये प्रसाद,।
जिनका हौसला भी खुद होता है फ़ौलाद।।
लेखन- आनंद
विनम्र अपील-
कृपया बेटियों की भ्रूण हत्या करके, पाप के भागीदार न बने, उनको भी जीवनदान दे, और राष्ट्रहित व मानवता का परिचय दे।