- सप्रेम विनती-
(विशेष- सहित्यनामा पत्रिका के sept में प्रकाशित)
फौजी है भाई मेरा, जरा साथ निभाना इसका,
ये दुनियां बड़ी गोल है, यहाँ कोई न किसी का।
वैसे तो सीमा पर इसने, तनाव बहुत से झेले है,
लेकिन फिर भी इसके जीवन में, हर पल संकट के रेले हैं।
एक अच्छा हमसफर चुना है तुम्हें, भगवान ने इसका,
फौजी है भाई मेरा, जरा साथ निभाना इसका।
यूँ ही नही मिल जाता हर- कोई किसी को राहों में,
विनती है भगवान महफूज़ रखे,आपको इसकी बाहों में।
दिखने में इसने भी, साधारण सा जीवन है बिताया,
किस्मत अच्छी है मेरी जो, मैने इसके जैसा दोस्त है पाया
जगह बदलना फितरत नही इसकी, फिर भी ज़िंदगी लोहारों सी,
छवि ही ऐसी बन गयी इसकी, सीमा के प्रबल पहरेदारों सी।
सीमा पर पहले वार न करता, नेक करम है ऐसा इसका,
दुश्मन फिर भी ध्यान न देता,कि ये भी कुछ तो होगा किसी का
जीवन के इस चक्र में, तुम्हें हर काम में आगे आना है,
जीवन भर अडिग रह-कर ,साथ जो इसका निभाना है।
लेखन-आनन्द
इंजीनियर की कलम से -
लेखन-आनन्द
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