तभी तो फौजी कहलाता हूँ
सुबह 4 बजे उठकर दिनचर्या में ढल जाता हूँ,
यारों तभी तो मै फौजी कहलाता हूँ।।
होती है छुट्टी चंद दिनों की,उसमे सदियों जी जाता हुँ,
और 5 साल की बेटी को चॉकलेट देकर बहलाता हुँ।
करके वादा माँ बाप से सुबह जल्दी घर से निकल आता हुँ,
यारों तभी तो मैं फौजी कहलाता हुँ ।।
अब तो सीमा पर ही होता है मेरा साँझ सवेरा,
औऱ बंकर ही लगता है मुझे घर मेरा,
यूं तो सीमा पर कहने को सब मेरे भाई हैं,
लेकिन सामने वाले बड़े क्रूर औऱ आततायी है,
लगी चोट को मै अब खुद ही सहलाता हुँ,
यारों तभी तो मैं फौजी कहलाता हुँ।।
कुछ लोग जो फौज को इतना गंदा कहते हो,
कयूँ भारत माँ के रखवालो पर इल्ज़ाम लगाते हो,
एक दिन तो डटकर देखो सीमा पर तुम,
देखे कितना तुम टिक पाते हो,
और ना हो तुमसे जब ये तो,
कयूँ सेना पर कालिख लगाते हो।
देश सेवा के एक आर्डर पे अब मैं चला आता हूँ,
यारों तभी तो शायद में फौजी कहलाता हूँ।।
जम्मू की सर्दी और राजस्थान की गर्मी को हंसते हंसते सह जाता हूँ,
वेतन मिलता है थोड़ा सा , लेकिन फिर भी मैं काम चलाता हूँ।
हर कॉल पे अगले महीने आने की, झूठी दिलासा दिलाता हूँ,
तुम्हें पता नही यारों, तभी तो मैं फौजी कहलाता हूँ।
केरला की बाढ़ हो या हो उत्तराखंड का भू-स्खलन
सबमे हँसते-हँसते शामिल हो जाता हूँ,
भारत माँ की रक्षा को आतुर, अब ना एक पल और गवाता हूँ
चारों ओर भाईचारे और अमन ,शांति के लिये
सबका साथ निभाता हूँ
तुम्हें पता नही यारों, तभी तो फौजी कहलाता हूँ।
होती है छुट्टी चंद दिनों की,उसमे सदियों जी जाता हुँ,
और 5 साल की बेटी को चॉकलेट देकर बहलाता हुँ।
करके वादा माँ बाप से सुबह जल्दी घर से निकल आता हुँ,
यारों तभी तो मैं फौजी कहलाता हुँ ।।
अब तो सीमा पर ही होता है मेरा साँझ सवेरा,
औऱ बंकर ही लगता है मुझे घर मेरा,
यूं तो सीमा पर कहने को सब मेरे भाई हैं,
लेकिन सामने वाले बड़े क्रूर औऱ आततायी है,
लगी चोट को मै अब खुद ही सहलाता हुँ,
यारों तभी तो मैं फौजी कहलाता हुँ।।
कुछ लोग जो फौज को इतना गंदा कहते हो,
कयूँ भारत माँ के रखवालो पर इल्ज़ाम लगाते हो,
एक दिन तो डटकर देखो सीमा पर तुम,
देखे कितना तुम टिक पाते हो,
और ना हो तुमसे जब ये तो,
कयूँ सेना पर कालिख लगाते हो।
देश सेवा के एक आर्डर पे अब मैं चला आता हूँ,
यारों तभी तो शायद में फौजी कहलाता हूँ।।
जम्मू की सर्दी और राजस्थान की गर्मी को हंसते हंसते सह जाता हूँ,
वेतन मिलता है थोड़ा सा , लेकिन फिर भी मैं काम चलाता हूँ।
हर कॉल पे अगले महीने आने की, झूठी दिलासा दिलाता हूँ,
तुम्हें पता नही यारों, तभी तो मैं फौजी कहलाता हूँ।
केरला की बाढ़ हो या हो उत्तराखंड का भू-स्खलन
सबमे हँसते-हँसते शामिल हो जाता हूँ,
भारत माँ की रक्षा को आतुर, अब ना एक पल और गवाता हूँ
चारों ओर भाईचारे और अमन ,शांति के लिये
सबका साथ निभाता हूँ
तुम्हें पता नही यारों, तभी तो फौजी कहलाता हूँ।
जय हिंद , जय भारत, जय माँ भारती।।।
लेखन-आनन्द
इंजीनियर की कलम से-
18 टिप्पणियां:
Mast
जये हिंद
Very nice
Very nice... Keep writing..
Nice bhai
Thanks
aree wahh banna 😄
सब आपके साथ का कमाल है भाई जान
superb
Jay hind
Regards for writing
Thanku sir
Fantastic..... Jai hind
Thanku hansa ji
Hates off to u
Nice
Good job
Tributes to jawans
Jai hind
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