मेरे अरमान
(प्रकशित- काव्य प्रभा, सांझा काव्य संग्रह)
{आकर्षण- राब्ता (open mic), जयपुर में लाइव प्रस्तुति}
हैं अरमान मेरे बस इतना सा-
जब भी याद करो तुम मुझको, औऱ पल में हाज़िर हो जाऊं
पल-पल तेरे साथ रहूँ औऱ इन पल में सारी खुशियाँ दे जाऊं
है अरमान मेरे बस इतना सा-
याद करे तू जिस ख़ुशी को, वो पल में तेरी हो जाये
करने वाला तो रब है, पर बस नाम मेरा हो जाये
हैं अरमान मेरे बस इतना सा-
तू सोती रहे बाहों में मेरी, औऱ में उलझी लटें सुलझाता जाऊं
तू बन जाये परछाई मेरी, और मैं तेरा साया बन जाऊं
है अरमान मेरे बस इतना सा-
तुम बन जाओ राधा और मैं कृष्णा बन जाऊं
जब भी आये तुझपे संकट ,पल में छू मन्तर कर जाऊं
है अरमान मेरे बस इतना सा-
तुम बन जाओ अक्ष मेरा औऱ में मांग का सिंदूर तेरा हो जाऊं
साथ रहूँ तेरे हर पल जैसे-
तेरी बिंदी की चमक बन जाऊं, और
तेरी चूड़ी की खनक बन जाऊं
है अरमान मेरे बस इतना सा-
तुम बन जाओ तलवार मेरी और मैं तेरी सख्त ढाल हो जाऊं,
खड़ा रहूँ साथ तेरे हर दम, तेरे हर दर्द का मरहम बन जाऊं।
है अरमान मेरे बस इतना सा-
तुम बन जाओ राही मंज़िल के
औऱ मैं उस मंज़िल का हमराही बन जाऊं।
-दिल की ख्वाइशें
- आनन्द-