सोमवार, 22 अप्रैल 2019

मेरे अरमां

                             मेरे अरमान

                       (प्रकशित- काव्य प्रभा, सांझा काव्य संग्रह)
       {आकर्षण- राब्ता (open mic), जयपुर में लाइव प्रस्तुति}

हैं अरमान मेरे बस इतना सा-
जब भी याद करो तुम मुझको, औऱ पल में हाज़िर हो जाऊं
पल-पल तेरे साथ रहूँ औऱ इन पल में सारी खुशियाँ दे जाऊं

है अरमान मेरे बस इतना सा-
याद करे तू जिस ख़ुशी को, वो पल में तेरी हो जाये
करने वाला तो रब है, पर बस नाम मेरा हो जाये

हैं अरमान मेरे बस इतना सा-
तू सोती रहे बाहों में मेरी, औऱ में उलझी लटें सुलझाता जाऊं
तू बन जाये परछाई  मेरी, और मैं तेरा साया बन जाऊं

है अरमान मेरे बस इतना सा-
तुम बन जाओ राधा और मैं कृष्णा बन जाऊं
जब भी आये तुझपे संकट ,पल में छू मन्तर कर जाऊं

है अरमान मेरे बस इतना सा-
तुम बन जाओ अक्ष मेरा औऱ में मांग का सिंदूर तेरा हो जाऊं
साथ रहूँ तेरे हर पल जैसे-
तेरी बिंदी की चमक बन जाऊं, और
तेरी चूड़ी की खनक बन जाऊं

है अरमान मेरे बस इतना सा-
तुम बन जाओ तलवार मेरी और मैं तेरी सख्त ढाल हो जाऊं,
खड़ा रहूँ साथ तेरे हर दम, तेरे हर दर्द का मरहम बन जाऊं।

है अरमान मेरे बस इतना सा-
तुम बन जाओ राही मंज़िल के
औऱ मैं उस मंज़िल का हमराही बन जाऊं।


                                           -दिल की ख्वाइशें

                                              - आनन्द-

शुक्रवार, 12 अप्रैल 2019

तेरा इंतजार

                            तेरा इंतजार

    {विशेष- सहित्यनामा (मुम्बई)सितंबर अंक में प्रकाशित}
चित्र- स्वयं (MBM audi)

न जाने कयूँ दिल को तेरा इंतजार रहता है
पाने को तुझे ये हर पल तैयार रहता है
तुझे पाना तो  ख्वाब है इस दिल का
उस ख्वाब का तो नींद में भी दीदार होता है।

वैसे तो बहुत देखी है  हमने भी हुस्न-ए-मल्लिका
पर तेरा आकर मुस्कुराना तो लगता है
जैसे कातिलाना वार होता है,
न जाने कयूँ दिल को तेरा इन्तज़ार रहता है।

कयूँ ढूंढता हूँ मै तुझे हर दिन , हर चीज़ में
शायद कोशिश होती है तुझे आस - पास पाने की,
तभी तो ये दिल आजकल इतना बेकरार रहता है
न जाने कयूँ दिल को तेरा इंतज़ार रहता है।

मत पूछो कि उदासियाँ कितनी है ज़िन्दगी में,
फिर भी तेरे साथ मनाने को जश्ने-ज़िन्दगी,
सपना ये हर बार होता है।
न जाने कयूँ दिल को तेरा इंतज़ार रहता है

क्या हुआ कुछ गिले-शिकवे है भी गर ज़िन्दगी में,
लड़खड़ाकर खड़ा होना भी खुशगवार होता है
कशिश ही ऐसी है दिल की तुम्हारी खुश्बू-ए-बदन से
तुमसे खफा होके भी मिलने को तैयार रहता है।
 न जाने कयूँ दिल को तेरा इंतज़ार रहता है।।

                                            लेखन- आनन्द

                        



लोकप्रिय पोस्ट

ग्यारवीं का इश्क़

Pic- fb ग्यारवीं के इश्क़ की क्या कहूँ,  लाजवाब था वो भी जमाना, इसके बादशाह थे हम लेकिन, रानी का दिल था शायद अनजाना। सुबह आते थे क्लासरूम में...

पिछले पोस्ट