बुधवार, 15 अप्रैल 2020

कोरोना के असली योद्धा



कोरोना के असली योद्धा


Pic- fb 

देश मे फैला है एक संकट जिसका नाम है कोरोना,
सत्ता की बहस को छोड़ो मेरे यारों।
इसका तो चिरकाल से ही चला आ रहा, यूं ही रोना-धोना।

ध्यान करो जरा उन फरिश्तों का भी,
जिनके खुद के भी कुछ सपने है।
बेपरवाह होकर लगे है जनसेवा में,
उनके भी तो कई अपने है।

कहती होगी वो माँ भी अपने बेटे से,
कुछ दिन छुट्टी लेले अपने पेशे से।
अवज्ञा करके भी, वो आपकी सेवा में आता है,
बचाने को तुम्हे वह, खुद इस बला से लड़ जाता है।

मजबूरी तो  देखो ,अपने बच्चों को एक
आलिंगन भी न दे पाते है।
कैसी विपदा आन पड़ी है जो,
अपनो से न मिल पाते है।

ये वही योद्धा है जो आपकी सेवा में ,
एक पल भी न और गवांते है।
अब तो सुधरो तुम हे मानुस!
सोचो, क्यों इनकी मेहनत को भी हम जाया करते है।

मांगा ही क्या है इन लोगो ने तुमसे!
खाली रहना ही तो है अपने घर मे।
संकट है कट जाएगा एक दिन यह भी,
क्यों रहते हो खुद भी इस डर में।

है तुम्हारा भी कुछ कर्तव्य इस घड़ी में,
क्यों इनकी सेवा का अनुचित लाभ उठाते हो।
बन्द करो सब प्रपंच और मिलना- जुलना कुछ दिन,
क्यों इनको भी तुम बाधा पहुँचाते हो?

कुछ ऐसे भी है जिनको नींद नसीब नही ,
दिन और रातों में।
चौराहे पर लगती ड्यूटी,इस इस भीषण गर्मी,
और बारिश की छाटों में।

उनको कोई लाभ नही आपकी पिटाई में,
लगे हुए है वो तो केवल आप सबकी भलाई में।
न खाने की सुध है, न रहने का कोई ठिकाना,
लक्ष्य है इनका इस संकट को पार लगाना।

कहता है आनंद तुमसे ये, सुनो जरा तुम ध्यान से,
साथ इन्ही का दो तुम, पूरे तन-मन-धन और मान से।
माहौल बना दो कुछ ऐसा की, मिसाल बनो इस संसार मे,
मानव की सेवा मानव करे, गौरव रहे अपना सिर्फ इस प्यार में।

-आनन्द

अपील- सभी लोगों से मेरा विनम्र निवेदन है कि - पुलिस और मेडिकल कर्मचारियों का दिल से साथ दे और उन्हें मनोबल प्रदान करे इस संकट की घड़ी में ताकि वो इससे पार पा सके।
और कुछ नियम खुद भी बना ले।
1 ज्यादा से ज्यादा हाथ धोये।
2 अल्कोहल वाले सेनेटाइजर से हाथ साफ करें।
3 कम से कम घर से बाहर निकले।
4 अपने साथ के सभी लोगो का ध्यान रखे।
5 हो सके जितनी पुलिस और चिकित्सा विभाग की मदद करे।

जय हिंद, जय भारत।





शनिवार, 4 अप्रैल 2020

जीवन- विपदा


जीवन-विपदा
Pic- fb


काँटो की पथरीली सी राह है ये जीवन
कहाँ आसान होता है इसे जीना,
है ये एक मझधार फंसी नैया,
बनना पड़ता है यहाँ हर एक को खैवैया।

माना कि यह दलदल लगता है सारा,
पर हर विपदा का होता है एक किनारा,
हे मानव, जानो तुम इसका मर्म को,
और करते रहो अनवरत अपने कर्म को

निज लक्ष्य को रख मस्तक में,
तुम आगे बढ़ते जाओ,
आने वाली एक-एक विपदा को,
 तुम हर बार किनारे करते जाओ।

कोहरे की धुंधली पट्टी सी है बस ये,
इसे आगे बढ़कर ही हटा सकते हो,
और दृढ़ किये अपने लक्ष्य को,
तुम पल में साध्य बना सकते हो।

सप्रेम विनती- सभी भाइयों और बहनों से मेरी मार्मिक विनती है कि देश अभी एक ऐसे ही दौर से गुजर रहा है अतः इसमें जननायक का साथ दे, स्वयं और अपने परिवार के बुजर्गों व बच्चों का ख्याल रखे। घर से बाहर केवल अत्यावश्यक कार्य हेतु ही जाए।
देश के नागरिकों के लिए यह भी एक देश सेवा ही होगी।
धन्यवाद।
-आनन्द

लोकप्रिय पोस्ट

ग्यारवीं का इश्क़

Pic- fb ग्यारवीं के इश्क़ की क्या कहूँ,  लाजवाब था वो भी जमाना, इसके बादशाह थे हम लेकिन, रानी का दिल था शायद अनजाना। सुबह आते थे क्लासरूम में...

पिछले पोस्ट