गुरुवार, 15 अगस्त 2019

आजादी की कीमत

    स्वतन्त्रता दिवस
(प्रकाशित-झांकी हिंदुस्तान की)
(प्रखरगूँज,दिल्ली)
Pic-गूगल साभार

बड़ी मुश्किल से मिली है ये आजादी हमे,
आओ मिलकर जश्न मनाये सब हम,
खोया है जिस माँ ने अपने लाल को,
उस देश के दीवाने को याद करे हम।

लाखों जाने गयी है तब जाके मिली है,
बड़ी मेहनत से ये आजादी की शमा जली है,
एक भगत सिंह था आजादी का दीवाना,
बाकी टोली का भी रुख यही था मस्ताना।

खुदीराम की जवानी भी अभी,
 पूरे रूवाब में जो थी,
जिसने बिना सोचे ही दे दी जिन्दगी,
जो सोची न कभी ख्वाब में थी।

एक आजाद था जो था अपनी ही धुन का पक्का,
कहाँ रूकने वाला था वो देशभक्त था सच्चा,
बिस्मिल ने न सोचा था कभी हिन्दू है कोई है मुसलमां,
जो सुलग जाए अंग्रेजो पे वही था असली ज़मां।

बड़ी मेहनत से मिली है ये आजादी हमें,
आओ मिलकर जश्न मनाये सब हम,
कभी गांधी तो,कभी सुभाष  बाबू थे मोर्चे पे खड़े, 
दीवाने थे वो जो आखिर सांस तक थे लड़े।

देश की शान को लड़े थे, थे सब भाई-भाई,
याद है वो लाला भी जिसने लाठी से लड़ी थी लड़ाई,
मौत के एक आह्वान पर वो चले गए,
सारी जिन्दगी की आजादी हमे दे गए।

आओ सब मिलकर देते है उन्हें श्रद्धांजलि ,
जिनकी एक जान ने दी है हमे ये जिंदगी,
करते है याद हम आज उन वीरों को ,
पिता के प्यारे और माँ के अनमोल हीरों को।

जय हिंद, जय भारत , जय माँ भारती।।

- आनन्द



मंगलवार, 13 अगस्त 2019

भारत की सुषमा

भाव भिनि श्रद्धाजंलि 


सुषमा स्वराज (पूर्व-विदेश मंत्री)


कल रात भयपूर्ण खबर मिली,
आँखे मेरी गमगीन हुई,
राजनीति की सुदृढ़ पुत्री, 
गहरी निद्रा में लीन हुई।

लोकतंत्र के आधार सी कहानी थी,
जन सेवा को आतुर,
वो लक्ष्मीबाई सी दृढ़ और संभल,
तेजपूरित और महाज्ञानी थी।

संविधान की ज्ञाता औऱ 
एक महान उपासक थी,
कूटनीति में माहिर, और 
लोकतंत्र की आराध्या थी।

शुरुआत की उस दौर से,
जहाँ राजनीति अपराधों का गढ़ थी,
करती थी प्रयास रोज और
वो बड़ी साहसी और निश्चयी दृढ़ थी।

अब कौन इस पीढ़ी को सींचेगा,
और कौन ऊँच-नीच को मिटाएगा,
कौन करेगा जय घोष संसद में,
कौन अब भेदभाव मिटाएगा।

करता हूँ मै प्रार्थना प्रभू से,
उस आत्मा को शांति देना,
देना उसको फिर कोई अमिट पृष्ठभूमि,
और अपने श्री चरणों मे जगह देना।

टिप्पणी- मेरी यह रचना आदरणीया सुषमा जी को समर्पित है, जो एक महान राजनीतिज्ञ और प्रबल व्यक्तित्व की धनी थी। 
- आनन्द





मंगलवार, 6 अगस्त 2019

जम्मू- कश्मीर और 370

लोकतंत्र की शक्ति

Pic- गूगल साभार

लोकतंत्र का स्वाभिमानी,
भारत देश महान है,
छोड़ दी जीत में मिली जमीन भी,
वाकिफ इससे सारा जहान है।

फिर भी न माने दुश्मन,
नोच लिया जिस टुकड़े को,
अभिन्न अंग है ये जिसका, 
वो प्यारा-सा हिंदुस्तान है।

लेकिन कुछ सियासी पिल्लों ने ,
मचाया संसद में घमासान है,
और फिर से अलग कर दिया उसे
 मस्तक है जिसका, वो हिंदुस्तान है।

मेरे देश में यह धरती की जन्नत कहलाता था,
स्वर्ग भी इसके सामने फीका पड़ जाता था,
केसर की क्यारी और देवों की नगरी था,
भारत के हर मानव -दिल का यह जिगरी था।

लेकिन उन पिल्लों को क्या पता था
 एक दिन ऐसा मोदी-शाह का तूफान जो आएगा,
बना के रखा था जिन्होंने स्वर्ग को जहन्नुम,
उनका अलग देश और संविधान का,
अटूट सपना भी चोपट कर जाएगा ।

कहता था जो सीना है छपन इंच का,
उसकी अग्नि परीक्षा का दिन आएगा,
और 370 में लिपटा हुआ कश्मीर भी,
अब भारत का अभिन्न अंग हो जाएगा।

लहराओ तिरंगा खुले दिल से अब,
भारत सारा एक है,
देख रहा है सयुंक्त राष्ट्र संघ भी,
भारत के लोकतंत्र की शक्ति को,
भले ही इसमे राज्य अनेक है।

आजाद हुआ भारत ,
आज सही मायने में,
खिला है केसर का फूल
और महक दिलों के आईने में,

कहता है ये आनन्द का विवेक है,
कश्मीर से कन्याकुमारी तक,
अब भारत सारा एक है।।


जय भारत , जय माँ भारती, जय लोकतंत्र,

लेखन- आनन्द

सारांश- यह वास्तव में लोकतंत्र की असली जीत है, इसका जश्न अवश्य मनाये क्योंकि कश्मीर अब भारत का पूर्णतः अंग है, जो हमेशा भारत का था, और हमेशा भारत का ही मस्तक रहेगा।




शुक्रवार, 2 अगस्त 2019

क्षात्र- धर्म

क्षत्रिय-धर्म


Pic- कौमी एकता का परिचय देती एक तस्वीर
(जिसमे महाराणा प्रताप व भील राजा पूंजा)
(Pic- गूगल साभार)


है वही क्षत्रिय जो,

एकता के सूत्र में,
 बांधे एक साथ सारी कौम को,
कौम को, व्योम को,
धरा के अनमोल हर-रोम को।

लक्ष्य में बहे जिसके,

धरती और आकाश हो,
धीर हो, प्रबल हो, प्रचण्ड हो,
जो सूर्यपुंज का प्रकाश हो।

है वही क्षत्रिय जो
खड़ा हो साथ न्याय के,
धर्म के, अभिप्राय के
जो नाश करे,
अधर्म और अन्याय के,

है वही क्षत्रिय जो,
साथ मे खड़ा हो हीन के, 
शिव के त्रिशूल सा, सृष्टि के उसूल सा,

है वही क्षत्रिय जो,
उठा ले खड्ग, हरने को
दोषियों के प्राण को,
दुश्मनों के हर बाण को,

है वही क्षत्रिय जो,
बाजी लगा दे जान की।
मान की, अभिमान की,
जगत के एहसान की।।

प्रण हो उसका ऐसा,
 सूर्य का तप है जैसा,
बादलों को चीर दे,
प्यासे को नीर दे,
दे वही शांति,
अशांति को नाश दे।

है वही क्षत्रिय जो
जिया हो सिर्फ शान से,
शान से, मान से,
  लड़ा हो पूरे जोश से,
जोश से, होश से,
खडग और कृपाण से।

है वही क्षत्रिय जो, 
साथ दे हर प्राणी का,
हर वाद में, प्रमाद में,
जो जान दे तो सिर्फ,
धरा के मान में, भारत माँ के त्राण में।

जय भारत , जय माँ भारती।


लेखन- आनन्द शेखावत

अपील-  इस व्यंग्य का उद्देश्य किसी की व्यक्तिगत भावनाओं को ठेस पहुँचाना बिल्कुल भी नही है, यह तो मात्र धरती के वीर योद्धाओं और शूरवीरों का गान मात्र है।
जिन्होंने हँसते-हँसते अपने क्षात्र-धर्म को निभाते- निभाते अपने प्राणों की आहुति दे दी।





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