क्षत्रिय-धर्म
Pic- कौमी एकता का परिचय देती एक तस्वीर
(जिसमे महाराणा प्रताप व भील राजा पूंजा)
(Pic- गूगल साभार)
है वही क्षत्रिय जो,
एकता के सूत्र में,
बांधे एक साथ सारी कौम को,
कौम को, व्योम को,
धरा के अनमोल हर-रोम को।
लक्ष्य में बहे जिसके,
धरती और आकाश हो,
धीर हो, प्रबल हो, प्रचण्ड हो,
जो सूर्यपुंज का प्रकाश हो।
कौम को, व्योम को,
धरा के अनमोल हर-रोम को।
लक्ष्य में बहे जिसके,
धरती और आकाश हो,
धीर हो, प्रबल हो, प्रचण्ड हो,
जो सूर्यपुंज का प्रकाश हो।
है वही क्षत्रिय जो
खड़ा हो साथ न्याय के,
धर्म के, अभिप्राय के
जो नाश करे,
अधर्म और अन्याय के,
जो नाश करे,
अधर्म और अन्याय के,
है वही क्षत्रिय जो,
साथ मे खड़ा हो हीन के,
शिव के त्रिशूल सा, सृष्टि के उसूल सा,
है वही क्षत्रिय जो,
उठा ले खड्ग, हरने को
दोषियों के प्राण को,
दुश्मनों के हर बाण को,
है वही क्षत्रिय जो,
बाजी लगा दे जान की।
मान की, अभिमान की,
जगत के एहसान की।।
प्रण हो उसका ऐसा,
सूर्य का तप है जैसा,
बादलों को चीर दे,
प्यासे को नीर दे,
दे वही शांति,
अशांति को नाश दे।
है वही क्षत्रिय जो
जिया हो सिर्फ शान से,
शान से, मान से,
लड़ा हो पूरे जोश से,
जोश से, होश से,
खडग और कृपाण से।
जोश से, होश से,
खडग और कृपाण से।
है वही क्षत्रिय जो,
साथ दे हर प्राणी का,
हर वाद में, प्रमाद में,
जो जान दे तो सिर्फ,
धरा के मान में, भारत माँ के त्राण में।
जय भारत , जय माँ भारती।
लेखन- आनन्द शेखावत
अपील- इस व्यंग्य का उद्देश्य किसी की व्यक्तिगत भावनाओं को ठेस पहुँचाना बिल्कुल भी नही है, यह तो मात्र धरती के वीर योद्धाओं और शूरवीरों का गान मात्र है।
जो जान दे तो सिर्फ,
धरा के मान में, भारत माँ के त्राण में।
जय भारत , जय माँ भारती।
लेखन- आनन्द शेखावत
अपील- इस व्यंग्य का उद्देश्य किसी की व्यक्तिगत भावनाओं को ठेस पहुँचाना बिल्कुल भी नही है, यह तो मात्र धरती के वीर योद्धाओं और शूरवीरों का गान मात्र है।
जिन्होंने हँसते-हँसते अपने क्षात्र-धर्म को निभाते- निभाते अपने प्राणों की आहुति दे दी।
1 टिप्पणी:
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति
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