खंडेला की फतेहपुर युद्ध मे बागी भूमिका
गतांक से आगे-
कल्याणपुराँ दादिया के ठाकुर और नरसिंह के भाइयो ने मराठों में मिलकर जयपुर को दबाने की कोशिश की लेकिन परिणाम नही निकला। थॉमस जो मराठी सेना का तोपची था उसने फतेहपुर पर अधिकार कर लिया।इस युद्ध के लिए रोड़ा राम ख्वास के नेतृव में आई जयपुर की सेना ने फतेहपुर से 8 मील दूर पड़ाव डाला।18 फरवरी 1798 में जयपुर ने थॉमस की सेना पर आक्रमण किया। थॉमस की सेना जरूर छोटी थी लेकिन उसका संचालन बड़ा ही उम्दा था जिससे जयपुर को पीछे धकेल दिया गया।
तब रोड़ाराम ने मध्य पार्श्व में 6000 योद्धाओ की टुकड़ी को आक्रमण करने का आदेश दिया। थॉमस ने फिर से छर्रों की बौछार करके जयपुरी सेना को पीछे धकेला और जयपुर की 24 पाउंड की दो तोपे छीन ली। तब चौमू के ठाकुर रणजीत सिंह नाथावत के नेतृत्व में जयपुर अश्व सेना ने भयंकर वेग से थॉमस पर धावा बोला।मराठो का रिसाला जो थॉमस की मदद कर रहा था वह जयपुर के इस धावे से भाग छूटा।थॉमस के पास केवल एक तोप रह गयी। उसने तोप को छर्रो से भर लिया व बचे हुए 150 सैनिको के साथ धैर्यपूर्वक डटा रहा।जब शत्रु 40 गज से कम दूरी पर आए तो तीन वार छर्रे अपनी तोप से चलाये और बन्दूक से गोलियों की वर्षा की, इससे शत्रु का वेग टूट गया।
चोमू के बहादुर को छर्रे लगे और पहाड़ सिंह खंगारोत मारे गए।उस दिन लगातार रक्त पात होता रहा।राजपूतो के 200 सैनिक काम आए और थॉमस के 300 मारे गए।परन्तु दौलत राव सिंधिया के आदेश से सन्धि हो गयी।थॉमस अपने सैनिकों को बचाते हुए हांसी चला गया।इस सेना में बाग सिंह जो खण्डेला राजा के भाई थे उन्हें सफलता नह मिली उल्टा जयपुर के कोप का भाजन बने। लेकिन बाघ सिंह और श्याम सिंह के 500 अश्वरोही सेना ने जयपुर की सेना को लूट लिया और खण्डेला -रैवासा पर पुनः अधिकार कर लिया।
इस समय बाघ सिंह काम से बाहर आया हुआ था तब छोटे पाने के राजा के भाई हणुत सिंह ने प्राचीर से गढ़ में आकर हमला करके गढ़ को अपने कब्जे में लिया। उस लड़ाई में बाघ सिंह का छोटा भाई लक्ष्मण सिंग काम आया। फिर जब बाघ सिंह आया तो हणुत सिंह को बाहर निकाल दिया और खण्डेला पर पुनः कब्जा कर लिया। फिर विक्रमी 1860 में सवाई प्रताप सिंह जयपुर के देहांत हो गया और 17 वर्ष की उम्र में जगत सिंह राजा बना।
जब जगत सिंह ने खण्डेला पर कर उगाई का कार्य कठिन और त्वरित किया तो सारे गिरधरदासोतो ने इक्कठा होकर आक्रमण किया और जगराम को लूट लिया जो जयपुर का मंत्री था। जिस प्रकार जोधपुर के महाराजा अजीतसिंह को राजा बनाने के लिए मारवाड़ के राठोड़ो में दुर्गादास और सोनांग चंपावत जी ने किया वही अब खण्डेला वाटी में बाघ सिंह और उसके साथी कर रहे थे। उन्हीने छापामार प्रणाली में युद्ध करके जयपुर को पूरे तरीके से तोड़ दिया।
इसी प्रकार एक मौका आया जब समस्त शेखावाटी की जरूरत जयपुर को पड़ी,उंसके पीछे भी बड़ा कारण है अगले हिस्से में बताएंगे।
#क्रमशः
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