वीर रस लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
वीर रस लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शुक्रवार, 8 सितंबर 2023

कीचक वध

कीचक वध





राजा कमल नयन के ,अपना अज्ञातवास वो बिताते है,
छाले पड़ जाते काया म,अर भीमसेन वल्लभ बन जातेहै।
विपदा आती एक दिन जब, दरबार मे 
पहलवान अजितसिंह भीमसेन पर गुर्राते है।।

बात बिगड़ जाती जब दोनो  की,
दोनो कुश्ती पर अड जाते है।
कंक बने युधिष्ठिर जब वल्ल्भ को समझाते है,
लेकिन भीमसेन उसे बड़ी चुनौती जो बतलाते है।।

युद्ध होता है दोनो का जब 
सुनकर द्रोपदि आती है।
कहती है रानी सुलक्षणा को, कि 
जोश पहलवानो मे भरकर आती है।

देखा द्रोपदी ने एकटक,एक कोने मे डोलकर,
कहती है हे पहलवान! सुन ले अपने कान खोलकर।
जे हार गया तु इस जुद्ध मे, तो चूड़ी तोड़ गिरा दूंगी,
कर दूंगी सब न्योछावर,खुद की चिता बना ल्यूंगी।।

देकर धोबी पछाड़ पहलवान को,
भीमसेन भुजा फड़काते है।
और उसे परलोक का पहुंचाने का,
पक्का विधान, वो अब चाहते है।।

देख भीमसेन की दुविधा,
द्वारकधीश मंद-मंद मुस्काते है।
लेते है हाथ एक लकड़ी की कटिका,
करके दो टुकड़े, भिन्न- भिन्न दिशा फिकवाते है।

देख कन्हैया की चालाकी,
अब भीमसेन मुस्काते है।
और योद्धा के पग पर पग रखकर,
किचक मार गिराते है ।।

 थे योद्धा माता कुंती के बलशाली बेटे,
और पवन पुत्र के जो अंश कहलाते है।
जोड़ कवित महाभारत का ये अद्भुत,
कवि आंनद आपको हर्षित हो सुनाते है।

आनंद सिंह "अमन"





गुरुवार, 8 अक्टूबर 2020

सेना का एक जवान




                                      फ़ोटो-फेसबुक


राहों में बारूद बिछा, दिल मे एक इंसान,
कैसे समझाऊ इसे, सामने है जो शैतान।

लोगों को देने में लगा, एक नई सी शुरुआत,
करने में लगे फिर, बस सब मेरी ही बात।

आशिष दे या न दे, हूँ मैं भी इंसान,
करता क्या आखिर, रह गया सेना में एक जवान।।

जम्मू हो या हो रेतीला रेगिस्तान,
कोई पहुँचे या नही, पहुँचे वही जवान।

करने को खड़ा, दुश्मन से दो- दो हाथ,
भले न हो उसके अपने लोगों का साथ।

देश सेवा ही सर्वोपरि, सबसे ऊपर त्याग,
सलाम उसके जज्बे को, काबिल था उसका राग।

देने को कुछ नही परिवार को, सिर्फ है फख्र से सर ऊंचा,
दुश्मन को झुका दे, कर दे मस्तक उसका नीचा।

आखिर में कुछ हो न हो, पेंशन लेकर आता है,
आजीवन फिर उसी सहारे, स्वाभिमानी से जीता है।

टिप्पणी- वायु योद्धाओं को स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

शुक्रवार, 2 अगस्त 2019

क्षात्र- धर्म

क्षत्रिय-धर्म


Pic- कौमी एकता का परिचय देती एक तस्वीर
(जिसमे महाराणा प्रताप व भील राजा पूंजा)
(Pic- गूगल साभार)


है वही क्षत्रिय जो,

एकता के सूत्र में,
 बांधे एक साथ सारी कौम को,
कौम को, व्योम को,
धरा के अनमोल हर-रोम को।

लक्ष्य में बहे जिसके,

धरती और आकाश हो,
धीर हो, प्रबल हो, प्रचण्ड हो,
जो सूर्यपुंज का प्रकाश हो।

है वही क्षत्रिय जो
खड़ा हो साथ न्याय के,
धर्म के, अभिप्राय के
जो नाश करे,
अधर्म और अन्याय के,

है वही क्षत्रिय जो,
साथ मे खड़ा हो हीन के, 
शिव के त्रिशूल सा, सृष्टि के उसूल सा,

है वही क्षत्रिय जो,
उठा ले खड्ग, हरने को
दोषियों के प्राण को,
दुश्मनों के हर बाण को,

है वही क्षत्रिय जो,
बाजी लगा दे जान की।
मान की, अभिमान की,
जगत के एहसान की।।

प्रण हो उसका ऐसा,
 सूर्य का तप है जैसा,
बादलों को चीर दे,
प्यासे को नीर दे,
दे वही शांति,
अशांति को नाश दे।

है वही क्षत्रिय जो
जिया हो सिर्फ शान से,
शान से, मान से,
  लड़ा हो पूरे जोश से,
जोश से, होश से,
खडग और कृपाण से।

है वही क्षत्रिय जो, 
साथ दे हर प्राणी का,
हर वाद में, प्रमाद में,
जो जान दे तो सिर्फ,
धरा के मान में, भारत माँ के त्राण में।

जय भारत , जय माँ भारती।


लेखन- आनन्द शेखावत

अपील-  इस व्यंग्य का उद्देश्य किसी की व्यक्तिगत भावनाओं को ठेस पहुँचाना बिल्कुल भी नही है, यह तो मात्र धरती के वीर योद्धाओं और शूरवीरों का गान मात्र है।
जिन्होंने हँसते-हँसते अपने क्षात्र-धर्म को निभाते- निभाते अपने प्राणों की आहुति दे दी।





लोकप्रिय पोस्ट

ग्यारवीं का इश्क़

Pic- fb ग्यारवीं के इश्क़ की क्या कहूँ,  लाजवाब था वो भी जमाना, इसके बादशाह थे हम लेकिन, रानी का दिल था शायद अनजाना। सुबह आते थे क्लासरूम में...

पिछले पोस्ट