फ़ोटो-फेसबुक
राहों में बारूद बिछा, दिल मे एक इंसान,
कैसे समझाऊ इसे, सामने है जो शैतान।
लोगों को देने में लगा, एक नई सी शुरुआत,
करने में लगे फिर, बस सब मेरी ही बात।
आशिष दे या न दे, हूँ मैं भी इंसान,
करता क्या आखिर, रह गया सेना में एक जवान।।
जम्मू हो या हो रेतीला रेगिस्तान,
कोई पहुँचे या नही, पहुँचे वही जवान।
करने को खड़ा, दुश्मन से दो- दो हाथ,
भले न हो उसके अपने लोगों का साथ।
देश सेवा ही सर्वोपरि, सबसे ऊपर त्याग,
सलाम उसके जज्बे को, काबिल था उसका राग।
देने को कुछ नही परिवार को, सिर्फ है फख्र से सर ऊंचा,
दुश्मन को झुका दे, कर दे मस्तक उसका नीचा।
आखिर में कुछ हो न हो, पेंशन लेकर आता है,
आजीवन फिर उसी सहारे, स्वाभिमानी से जीता है।
टिप्पणी- वायु योद्धाओं को स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
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