शनिवार, 13 जुलाई 2019

प्रतिस्पर्धी युग और छात्र


 छात्र-जीवन की परीक्षा

pic-google


आओ सुनाता हूं तुम्हे हालात ए बेरोजगारी,
किस्सा है उनका जो छात्र करते है कम्पीटिशन की तैयारी,
हालातों ने इन्हें भी बहुत हिला के रखा है,
पर इसके हौसलों ने  पाँव अब भी जमा के रखा है,

ना कोई खाने का ठिकाना है, ना कहीं सोने का,
डर जो हर वक्त लगा रहता है रिजल्ट के आने का,
ऐसा नही है कि मेहनत में कोई कमी है,
पर फिर भी भय है सिलेक्शन के ना होने का

रोज जगते ही पहाड़ सा जो दिन लगता है,
शाम तक पढ़ते पढ़ते वो भी निकल जाता है,
पहुँचते ही लाइब्रेरी में किताबों का ढेर नजर आता है,
पढ़ने वाला वहाँ हर कोई अपना ही प्रतिद्वंदी नजर आता है,

जैसे तैसे करके तैयारी को पार लगाता है,
अब तो बस कम मार्क्स के आने का भय सताता है,
जब न हो सिलेक्शन किसी एक परीक्षा में,
तो ये पूरा जमाना ही दुश्मन नजर आता है,

(खुद के बारे में कहता है-)

साहस तो देखो मेरा, मैं उठ खड़ा हो गया हूं,
कल फिर से परीक्षा देने को तैयार जो हो गया हूं,
यूँ ही नही कहते छात्र जीवन को कठिन,
इसी से तो गिर के खड़ा होने का हूनर जो सीख गया हूं,

खा लेता हूं खाना अब मैं बिना किसी ना- नुकर के,
हर सब्जी अब तो अच्छी लगती है,
कहाँ गया मेरा रूठ जाना? जब मेरे पसन्द की
तरकारी घर मे न बनती थी,

माँ भी अब तो मुझे बहुत मिस करती होगी,
जब मेरे पसन्द का खाना बनाती होगी,
कोई क्यों न यकीन दिला देता उसको,
कि तेरा बेटा अब समझदार जो हो गया है,
वो हालातों से लड़ना भी तो सीख गया है।

मैं भी अडिग हूँ अपने पथ पर 
देखे किस्मत कब तक परखती है,
जब ठान चुका हूं मैं सफल होने की,
देखे कौनसी मुश्किल रोकती है,

इस जिन्दगी की परीक्षा भी बड़ी निराली है,
पहले परखती है और फिर बड़ा पाठ सिखलाती है,

                 - प्रतिस्पर्धी युग के युवाओं को समर्पित

                        लेखन-  आनन्द





सोमवार, 1 जुलाई 2019

सूरत अग्नि कांड-एक प्रतिक्रिया

आँखों के तारे

    {विशेष- ब्लॉग बुलेटिन सम्मान रत्न-2019 में नॉमिनेटेड}

                   Pic- सूरत कोचिंग सेन्टर भवन
                             Pic- google

रोज की तरह आज की सुबह भी बड़ी निराली थी,
अब तो सूरज ने भी करवट बदल डाली थी,
और हमेशा की तरह उनकी भी यही तैयारी थी,
कि अगले ही कुछ सालों में जिन्दगी बदलने की बारी थी।

दिलों में जोश और अथक जुनून उनमे भरा पड़ा था,
और अगले ही पल उनमें से हर कोई कोचिंग में खड़ा था,
उस अनभिज्ञ बाल मन को क्या पता था,
कि अगले ही पल तूफान भी उनके द्वार पर खड़ा था ।

लेकिन जैसे-तैसे क्लास की हो गयी तैयारी थी,
उन्हें क्या पता उनकी किस्मत यहाँ आके हारी थी,
वो तो बस धुन के पक्के लगे थे भविष्य बनाने मे,
उनका भी तो लक्ष्य था हर सीढ़ी पर आगे आने में।

जैसे ही मिली सूचना,उस अनहोनी के होने की,
मच गया था कोहराम,पूरे भवन और जीने में,
ना कोई फरिश्ता था आगे,अब उनको बचाने में,
लेकिन फिर जद्दोजहद थी,उनकी जान बचाने में।

कॉपी पेन और भविष्य,अब पीछे छूट चुके थे,
सब लोगों के पैर फूल गये औऱ पसीने छूट चुके थे,
अब तो बस एक ही ख्याल,दिल और दिमागों में था,
विश्वास अब  बन चुका था,जो खग औऱ विहगों में था।

यही सोचकर सबने ऊपर से छलांग लगा दी थी,
लेकिन प्रशासन की तैयारी में बड़ी खराबी थीं,
न कोई तन्त्र अब तैयार था नोजवानों को बचाने में,
अब तो बस खुद की कोशिश थी बच जाने में।

पूरी भीड़ में बस,वो ही एक माँ का लाल निराला था,
जो आठ जानें बचा के भी,न रूकने वाला था,
वो सिँह स्वरूप केतन ही, मानो बच्चों का रखवाला था,
रक्त रंजित शर्ट थीं उसकी, जैसे वही सबका चाहने वाला था।

बाकी खड़ी भीड़ की,आत्मा मानो मर चुकी थी,
उनको देख के तो मानो,धरती माँ भी अब रो चुकी थीं,
कुछ निहायती तो बस वीडियो बना रहे थे,
और एक-एक करके सारे बच्चे नीचे गिरे जा रहे थे।

फिर भी उनमें से किसी की मानवता ने ना धिक्कारा था,
गिरने वाला एक - एक बच्चा अब घायल और बिचारा था,
कुछ हो गए घायल और कुछ ने जान गँवाई थी,
ऐसे निर्भयी बच्चों पर तो भारत माँ भी गर्व से भर आयी थी।

लेकिन फिर भी न बच पाए थे वो लाल,
और प्रशासन भी ना कर पाया वहाँ कोई कमाल,
उज्ज्वल भविष्य के सपने संजोये वो अब चले गए,
कल को बेहतर करने की कोशिश में आज ही अस्त हो गए।

उन मात- पिता के दिल पर अब क्या गुजरी होगी,
उनकी ममता भी अब फुट- फूटकर रोई होगी,
क्या गारंटी है किसी और के साथ आगे न होगा ऐसा,
इसलिए प्रण करो कि सुधारे व्यवस्था के इस ढांचे को,
ताकि न हो आहत कोई आगे किसी के खोने को,

क्योंकि जो गए वो भी किसी की आँखों के तारे थे,
किसी को तो वो भी जान से ज्यादा कहीं प्यारे थे।

-टिप्पणी-

धन्यवाद ज्ञापित करना चाहूंगा श्री केतन जोरवाड़िया जी का जिन्होंने ने जान पर खेल कर कुल आठ जानें बचाई,और निवेदन करना चाहूंगा समस्त मानव जाति से कि ऐसा कहीं होते हुए देखे तो मानव सेवा में योगदान दें न कि खड़े- खड़े वीडियो बनाएं।

         -सभी स्वर्गीय बच्चों को भावभिनी श्रद्धाजंली।

                                               लेखन- आनन्द



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