रविवार, 24 मार्च 2019

जब सामने तुम आती हो,

                   -जब सामने तुम आती हो

Pic-गूगल साभार

दिल बहल सा जाता है,
 जब सामने तुम आती हो,
आते ही हल्की सी 
मंद मुस्कान जो बिखराती हो।

ये हंसी नहीं दर्पण है, 
मानो शुद्ध सपनों का,
जब हल्के से तुम 
बालों को सहलाती हो।।

आँखे तुम्हारी मछली सी,
चलती हो जैसे मानों हिरण,
तुम्हे औऱ कहूं क्या मैं, लगती हो
 जैसे सूरज की पहली किरण।

दोस्तों के साथ जो 
तुम इतना इठलाती हो,
दिल मचल सा जाता है ,
जब सामने तुम आती हो।।

नज़दीक से गुजरती हो तब तुम, 
धड़कन मेरी बढ़ सी जाती है,
निकल तो जाती हो तुम,
 पर याद तुम्हारी रह जाती है।

यूँ तो ठोस हृदय है मेरा, 
जाने फिर भी तुम पिघला जाती हो,
दिल खुश हो जाता है मेरा, 
जब सामने तुम आती हो।।

कमर तुम्हारी बल खाती सी, 
जब तुम चलती हो,
नींद तो आती है मुझको, 
पर सपनों में तुम रह जाती हो।

चाँद-समां चेहरे पे जो तिल है 
लगता तुमको साधारण सा,
पर तुम्हें पता नही शायद,
तुम इसीलिए दिल मे बस जाती हो।।

मैं कैसे कहूँ तुमसे 
क्या हाल होता है मेरा,
जब तुम आँखों से ओझल हो जाती हो।
बस यूँ समझ लो एक पल में 
सौ बार जी लेता हूं ,मैं
जब सामने तुम आती हो,
 जब सामने तुम आती हो।।
   
                                     -इंजीनियर की कलम से-आनन्द
                                      

12 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

very nice

आनन्द शेखावत ने कहा…

Thanku unknown

कविया की क़लम ने कहा…

शब्दो को बहुत अच्छा पिरोया आपने।

आनन्द शेखावत ने कहा…

धन्यवाद कविया जी, आपसे ज्यादा कहाँ कर पाते है।

Unknown ने कहा…

I like

आनन्द शेखावत ने कहा…

धन्यवाद

Unknown ने कहा…

Wow so gorgeous
🗾

sunil gadwal ने कहा…

Nice collections

Unknown ने कहा…

Nice job

Bhomji ने कहा…

Nice lines

Kamini Sinha ने कहा…

बहुत खूब ,सादर

Mukesh ने कहा…

Bahut sundar

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