एहसास
फोटो- फाइल शिवाजी महाराज
आज नही तो कल होगा,
गलती का एहसास मगर होगा।
लेकिन जब भी होगा,
या तो माफ़ी की भड़क उठेगी।।
या ये भी ना हो पायेगा।
खुद पर काबू होगा।
दिल मे एक आग उठेगी।
उठेगी एक ज्वाला जो,
जो जलती जाएगी तब तक,
उम्र के आखिरी पड़ाव तक।
लेकिन मानस जिंदा रहेगा हर बार,
कचोटेगा उसी अंतर्मन को बार -बार,
क्यूकी उसे हार नही है, स्वीकार,
फिर जब सब काबू से बहार हो जायेगा,
एक -एक मन हर बार छलता जायेगा,
बहुत बार उस पिछड़े को उठाने का मन होगा,
लेकिन अब उसके बस मे कुछ ना होगा,
होगा वो लाचार और बहुत पछताएगा।
चाहत तो बदलेगी उसकी लेकिन कुछ ना हो पायेगा
अरे ! वो तो जीवन मे कुछ न कुछ कर लेगा,
खुद को वह, ईश्वर को समर्पित कर देगा।
निकलेगा उसका भी उपाय जब,
उसकी मेहनत के कर्मो का फल आएगा।
पर क्या तुम्हारे कर्म तुम्हे बचा पाएंगे?
क्या खुद को माफ़ तुम कर पाएंगे?
आज ये लगता है तुमको,बात छोटी है,
मगर क्या इसके कर्मो का हिसाब लगा पाएंगे?
-आनंद-
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