बुधवार, 7 सितंबर 2022
खंडेला का इतिहास भाग -20
गुरुवार, 28 जुलाई 2022
काळा कागला (काग देवता)
काळा कागला
शनिवार, 23 जुलाई 2022
मन की हस्ती
मन की हस्ती
खुश हुँ मैं अब मेरी हस्ती मे,
गैरों से न कोई मतलब मेरा।
बहते बहते समय की धारा में,
यहां तक पहुँचा है कारवाँ मेरा।।
हर हाल में खुश रहता हूं क्योंकि
दूसरों के हालात, बखूबी समझता हूं।
करने वाले वादे ऊंचे-ऊंचे, कब के गुजर गए,
मेरी हस्ती जिंदा है क्यूकी आज में जीता मरता हूँ।।
कहने वाले लोग है कहाँ जो,
हर चीज को अपनी बतलाते थे।
जीते जी कर न सके वक्त को अपना,
जो बस आगे की डींगे हांका करतें थे।।
कल का फिक्र करे वो जो,
आज में मेहनत न करता हो।
करता भी आखिर क्या जब,
अनहोनी से जो डरता हो।।
भाग्य भरोसे बैठा न कभी,
शायद भाग्य खुद मेरे भरोसे रहता हो।
मिलता तो है सुकून उन्हे,
जो मेहनत मे भरोसा करतें हो।।
- आनंद "आशतीत"
रविवार, 17 जुलाई 2022
बेला बारिश की
बारिश की बेला
- आनन्द "आशातीत"
शुक्रवार, 8 जुलाई 2022
खण्डेला का इतिहास भाग-19
खण्डेला राज्य का बंटवारा और राजा केसरी सिंह
शुक्रवार, 8 अप्रैल 2022
खण्डेला का इतिहास भाग-18
औरंगजेब का खण्डेला पर दूसरा आक्रमण
शनिवार, 26 फ़रवरी 2022
खण्डेला का इतिहास भाग-17
औरंगजेब का खण्डेला पर आक्रमण
लोकप्रिय पोस्ट
ग्यारवीं का इश्क़
Pic- fb ग्यारवीं के इश्क़ की क्या कहूँ, लाजवाब था वो भी जमाना, इसके बादशाह थे हम लेकिन, रानी का दिल था शायद अनजाना। सुबह आते थे क्लासरूम में...
पिछले पोस्ट
-
यार पुराने ला दो तुम.. वही यार पुराने ला दो तुम, मैं कुछ कह लूंगा, कुछ सुन लूंगा।। सुनकर गलत भी अनसुना मैं कर दूंगा । बस यार पुराने ला दो ...
-
Pic- fb ग्यारवीं के इश्क़ की क्या कहूँ, लाजवाब था वो भी जमाना, इसके बादशाह थे हम लेकिन, रानी का दिल था शायद अनजाना। सुबह आते थे क्लासरूम में...
-
रुठा हमसफर Pic- गूगल साभार यूँ न रूठा करो हमसे, हमे तो मनाना भी नही आता। यूँ न उलझा करो, हमे सुलझाना भी नही आता। एक तेर...
-
सावन और तुम शांत जल सी मधुर आवाज है तेरी कल-कल करता मधुर संगीत, दोनों ऐसे मिले है जैसे, है जन्मों के मीत। अच्छा लगता तो बह...
-
बचपन का जमाना Pic-facebook याद है मुझे वो बचपन का जमाना पूरे दिन खेलना और खिलाना , न फिक्र थी कुछ करने की बस सोचते थे सि...
-
pic - facbook तेरे चेहरे का ये तिल, बड़ा प्यारा सा लगता था, तेरा दिल भी बड़ा, न्यारा सा लगता था। करता हूँ अठखेलियां उलझ...
-
यादें तेरी Pic- गूगल साभार जिन्दगी की उधेड़बुन में, न जाने क्यों भूल जाता हूँ तुम्हारी यादों को, यादों के उन तमाम वादों को। ...
-
आरज़ू Pic-fb न जाने क्यों तुझसे इतना लगाव है, लगता है अब तू ही मेरी मंजिल है और तू ही बस आखिरी पड़ाव है, सीखना था जो सीख लिय...
-
- सप्रेम विनती- (विशेष- सहित्यनामा पत्रिका के sept में प्रकाशित) फौजी है भाई मेरा, जरा साथ निभाना इसका, ...





