इस संकट से पार है अगर पाना, तो हाथ लगातार धोना।
जरा ध्यान करो उन लोगों का भी,जो घर पर भी न रुक पाते है।
और पीकर चाय घर के बाहर से वापस अस्पताल आ जाते है।।
पता है उनको कि खतरा है उनको भी संक्रमण का,
फिर भी वो लगे आपकी सेवा में,न एक पल और गवांते है।।
वक्त की कैसी विडंबना है ये,
सफाई वाले भी पूरा साथ निभाते है।
और कैसी समस्या है ये अब,
अपनो से भी न मिल पाते है।
शर्म करो अब कुछ तो हे मानव,
क्यों धरती के भगवान को सताते हो।
नही आने वाला अब मंदिर वाला,
क्यों मानव सेवा में बाधा पहुँचाते हो?
पुलिस भला क्यों तुमको पीटे,
बन्द करो ये औछी हरकत और डॉक्टर पे थूक के छीटें।
आखिर में यही भगवान काम अब आएगा,
आन पड़ी इस अटल विपदा से यही बचाएगा।
परमार्थ इसी में हम सबका अब, साथ इनका देना है।
आया संकट देश पर, इसको दूर भगाना है।
करो सेवा लोगो की तुम, अगर ये भी न कर पाते हो,
तो बैठे रहो घर मे कुछ दिन, क्यों इन योद्धाओं को सताते हो?
कोरोना के कर्मवीरों को मेरा करबद्ध नमस्कार है,
अंत मेरी सबसे यही गुहार है,
बन्द करो सब प्रपंच और दकियानूसी,
इसमें ही हम सबका उपकार है।
-आनन्द
4 टिप्पणियां:
वाह!एक आह्वान के साथ बेहतरीन सृजन अनुज 👌
बहुत ही बेहतरीन रचना
वाह ! बढ़िया 👌
सुंदर व सच्ची अभिव्यक्ति 👍
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