शुक्रवार, 12 अप्रैल 2019

तेरा इंतजार

                            तेरा इंतजार

    {विशेष- सहित्यनामा (मुम्बई)सितंबर अंक में प्रकाशित}
चित्र- स्वयं (MBM audi)

न जाने कयूँ दिल को तेरा इंतजार रहता है
पाने को तुझे ये हर पल तैयार रहता है
तुझे पाना तो  ख्वाब है इस दिल का
उस ख्वाब का तो नींद में भी दीदार होता है।

वैसे तो बहुत देखी है  हमने भी हुस्न-ए-मल्लिका
पर तेरा आकर मुस्कुराना तो लगता है
जैसे कातिलाना वार होता है,
न जाने कयूँ दिल को तेरा इन्तज़ार रहता है।

कयूँ ढूंढता हूँ मै तुझे हर दिन , हर चीज़ में
शायद कोशिश होती है तुझे आस - पास पाने की,
तभी तो ये दिल आजकल इतना बेकरार रहता है
न जाने कयूँ दिल को तेरा इंतज़ार रहता है।

मत पूछो कि उदासियाँ कितनी है ज़िन्दगी में,
फिर भी तेरे साथ मनाने को जश्ने-ज़िन्दगी,
सपना ये हर बार होता है।
न जाने कयूँ दिल को तेरा इंतज़ार रहता है

क्या हुआ कुछ गिले-शिकवे है भी गर ज़िन्दगी में,
लड़खड़ाकर खड़ा होना भी खुशगवार होता है
कशिश ही ऐसी है दिल की तुम्हारी खुश्बू-ए-बदन से
तुमसे खफा होके भी मिलने को तैयार रहता है।
 न जाने कयूँ दिल को तेरा इंतज़ार रहता है।।

                                            लेखन- आनन्द

                        



12 टिप्‍पणियां:

कविया की क़लम ने कहा…

बहुत खूबसूरत लिखा है आपने

आनन्द शेखावत ने कहा…

धन्यवाद कविया जी

Unknown ने कहा…

Nive sir

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

सुंदर कविता

Unknown ने कहा…

Very impressive

Abhilasha ने कहा…

बहुत ही सुन्दर रचना

Suresh yadav ने कहा…

Intjar ki inteha ho gyi

Anand ने कहा…

So sweet Banna Sa

Anand ने कहा…

Kya baat h Banna Sa ....Fantastic

Narpat Singh Rathore ने कहा…

आपकी प्रत्येक कविता जीवन को नई दिशा दिखाती है

पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा ने कहा…

सुन्दर लेखन । बहुत-बहुत बधाई ।

Anuradha chauhan ने कहा…

बहुत सुंदर प्रस्तुति

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