जीने दो मुझे भी
साभार- गूगल
जीने दो मुझे भी,
अस्तित्त्व है जो मेरा ,खत्म न करो,
कोख में खत्म करने से तो डरो।
कोशिश होगी मेरी कि,
मैं नाम तुम्हारा रोशन कर दूंगी,
जीने की आजादी दो मुझे,
नाम ऊँचा ,आपका कर दूंगी।
विश्वास करो, मैं भी जीना चाहती हूं,
जीवन पथ पर, आगे बढ़ना चाहती हूं,
मुझे मारकर क्यों
पाप के भागी बनते हो,
दो जीवन और ऊंची शिक्षा,
फिर देखो कितने भाग्यशाली बनते हो,
जांच में पाए जाने पर मुझे,
क्यों तुम इतना डर जाते हो,
विश्वाश करो मुझ पर,
क्यों इतना कांप जाते हो।
मेरा उज्जवल भाग्य ,
मैं खुद लेके आउंगी,
साथ मे आपकी भी बंद,
किस्मत चमका जाऊंगी,
मानती हूं कुछ दुश्मन है मेरे,
पर उनका अब क्या मैं करूँ,
लेकिन कुछ अपवादी तत्वों,
से अब आप क्यों डरो?
मुश्किल जीवन में अगर,
आगे आना है,
तो इन सब खतरों से,
डर को दूर भगाना है।
आखिर में, मेरी यही गुहार है,
मुझे पैदा तो करो,
मुझे इस जीवन से बड़ा प्यार है,
ये दुनियां से ना डरो,
ये दुनियां तो बेकार है।
आप तो खुश किस्मत हो,
मिला आपको ये अभिन्न उपहार है।
ऊपर वाला भी उनको देता है ये प्रसाद,।
जिनका हौसला भी खुद होता है फ़ौलाद।।
लेखन- आनंद
विनम्र अपील-
कृपया बेटियों की भ्रूण हत्या करके, पाप के भागीदार न बने, उनको भी जीवनदान दे, और राष्ट्रहित व मानवता का परिचय दे।
5 टिप्पणियां:
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (09-03-2020) को महके है मन में फुहार! (चर्चा अंक 3635) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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होलीकोत्सव कीहार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
एक साहित्यकार जो काम होता है वो काम है इस रचना में। आपके ब्लॉग तक पहली बार आना हुआ है। बहुत सुंदर लिखा है। अच्छा लगा पढ़ कर।
सही कहा बेटियों की भ्रूणहत्या एक उच्च कोटि का पाप है और अव्वल दर्जे का ही अपराध। आजकल की बेटियां नाम रोशन करने जरा भी पीछे नहीं है। सार्थक रचना।
आप भी आइये मेरे ब्लॉग तक-
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सभी महान कलम योद्धाओं का प्रतिक्रिया हेतु सादर आभार।
बहुत सुंदर रचना
सुन्दर रचना
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