यादें तेरी
जिन्दगी की उधेड़बुन में,
न जाने क्यों
भूल जाता हूँ तुम्हारी यादों को,
यादों के उन तमाम वादों को।
एक बिखरी सी सुबह जब
सोकर जागता हूँ,
तुम्हारी एक झीनी सी तस्वीर,
नजर जो आती है,
आती है उसी के साथ वो
गर्म कॉफ़ी और लजीज नाश्ता,
और नाश्ते के साथ नेक इरादों को।
तुम होती तो हो उस पल में,
पर पोहे में सिर्फ मूंगफली के दाने सी,
जो चाहिए मुझे पोहे से भी ज्यादा,
मैं क्यों भूल जाता हूँ उन हसीन लम्हों को,
जिनमें खाने से ज्यादा,
चाहिए उपस्थिति तुम्हारी,
बस वही एक एहसास मुझे,
चाहिए हर पल और हर क्षण में।
जिन्दगी की उधेड़बुन में ,
न जाने क्यों भूल जाता हूँ तुम्हें,
मानता हूं गुनहगार तो हूँ मैं
आपकी तन्हाई का,
पर सजा दो तुम मुझे प्यार से,
है कुबूल सब जख्म,
लेकिन चाहिए सभी आपके साथ मे,
उन खुशनुमा लम्हों की याद में।
हर पल आपकी यादों का,
ही तो मुझपे साया है,
आपके साथ बीते हर एक पल को,
इस दिल ने खुद संजोया है।
-आनन्द-
विशेष- जाने अनजाने में या फिर जिंदगी की व्यस्तताओं में हम कितनी ही बार अपनी जिंदगी में उन हसीन और अच्छे पलों को खो देते है। अतः इन छोटे-छोटे पलों का भरपूर तरीके से जिये।
विशेष- जाने अनजाने में या फिर जिंदगी की व्यस्तताओं में हम कितनी ही बार अपनी जिंदगी में उन हसीन और अच्छे पलों को खो देते है। अतः इन छोटे-छोटे पलों का भरपूर तरीके से जिये।
6 टिप्पणियां:
जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (21-10-2019) को (चर्चा अंक- 3495) "आय गयो कम्बखत, नासपीटा, मरभुक्खा, भोजन-भट्ट!" पर भी होगी।
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रवीन्द्र सिंह यादव
Deep writing
बहुत ही बेहतरीन लिखा आपने ....
इस दुनिया में भगवान ने एक बहुत ही खूबसूरत प्यारा सा रिश्ता बनाया है और वह रिश्ता है पति और पत्नी का उन दोनों के बीच प्यार तकरार मान मनुहार इस सब कुछ एक दूसरे के प्रति प्रेम को प्रदर्शित करता है.. बहुत ही खूबसूरत अनुभव हुआ आपकी रचना को पढ़कर मेरी ओर से बधाई स्वीकार करें इस बेहतरीन रचना के लिए धन्यवाद
वाह!!! अहसास की अद्भुत सघनता। बधाई और आभार।
सभी प्रतिक्रियाओं का स्वागत, और आभार ।
यूं ही हौसला अफजाई करते रहिए और यही प्यार परोसते रहिये।
धन्यवाद।
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