बेइंतेहा
(प्रकाशित- काव्य प्रभा, सांझा काव्य संग्रह)
पर याद तो तुझे आज भी करते हैं,
तुम भले ही गौर करो ना करो,
प्यार तो तुम्हें आज भी करते हैं।
भले ना हो अब तुम पास में,
तो क्या हुआ
पर तुम्हारा स्पर्श तो हम आज भी,
महसूस करते हैं।
प्यार से हो या गुस्से में हो,
तुम जब रौब मुझपे जमाती हो,
उस रौबीले चेहरे को तो ,
हम आज भी मिस बहुत करते हैं।
अब तो अकेले रहने में भी
है मजा कहाँ,
तेरे अटूट साथ को तो हम
आज भी तरसते है।
तेरी तस्वीरों को सीने से लगा के सोते है,
तेरे पसंदीदा गानों को जो गुनगुनाते है,
कुछ भी कहे जमाना पर
प्यार तो हम
तुम्हे आज भी बहुत करते हैं।
तेरा रात को यूं सपनो में आना,
आके हल्का सा सहला जाना ,
ये प्यार नही तो क्या है?
तेरी हर उस अदा का हम बेसब्री
से इंतजार तो आज भी बहुत करते है,
तुम मानो या न मानो,
प्यार तो हम तुम्हे आज भी बेइंतहा करते है।
-आनन्द-
हम आज भी मिस बहुत करते हैं।
अब तो अकेले रहने में भी
है मजा कहाँ,
तेरे अटूट साथ को तो हम
आज भी तरसते है।
तेरी तस्वीरों को सीने से लगा के सोते है,
तेरे पसंदीदा गानों को जो गुनगुनाते है,
कुछ भी कहे जमाना पर
प्यार तो हम
तुम्हे आज भी बहुत करते हैं।
तेरा रात को यूं सपनो में आना,
आके हल्का सा सहला जाना ,
ये प्यार नही तो क्या है?
तेरी हर उस अदा का हम बेसब्री
से इंतजार तो आज भी बहुत करते है,
तुम मानो या न मानो,
प्यार तो हम तुम्हे आज भी बेइंतहा करते है।
-आनन्द-
8 टिप्पणियां:
Beautiful lines. 👍
सुंदर कविता।
धन्यवाद मुकेश जी।
Bahut umda
बहुत ही सुन्दर
सादर
बहुत सुंदर रचना ,सादर
धन्यवाद,कामिनी जी
सुन्दर कवितायें बार-बार पढने पर मजबूर कर देती हैं. आपकी कवितायें उन्ही सुन्दर कविताओं में हैं.
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